मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन, छत्तीसगढ़ राज्य में दिनांक 21.12.2000 से कार्यरत है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जैसे सार्वजनिक निर्माण विभागों के विभिन्न सिविल तथा विद्युत/यांत्रिकी संरचना कार्यों का परीक्षण किया जाता है। निर्माण कार्यो में प्रयुक्त सामग्री/कारीगरी की गुणवत्ता, निर्माण प्रक्रिया में निर्धारित मापदण्डों का पालन, दरों का सही निर्धारण, कार्य विभाग नियमावली के विनिर्दिष्ट प्रावधानों का पालन, गुणवत्ता परीक्षण, एवं अनुश्रवण की दृष्टि से संगठन द्वारा प्रदेशव्यापी निरीक्षण किये जाते है। संगठन के इन मूल कर्तव्यों के अतिरिक्त सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से प्राप्त शिकायतों की जांच भी संगठन द्वारा की जाती है।
मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन की स्थापना प्रदेश में विभिन्न निर्माण विभागों में चल रहे निर्माण कार्यों में से कुछ चयनित कार्यों का परीक्षण करने के उद्देश्य से की गई है। कार्य विभाग मैन्यूअल भाग-1 सेक्शन 18 अपेंडिक्स 9.27 में मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन द्वारा किये जाने वाले कार्यों का उल्लेख किया गया है। मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) का कार्यक्षेत्र छत्तीसगढ़ के अंतर्गत निर्माण विभागों यथा लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग तथा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना एवं अन्य विभाग जो निर्माण कार्य संपादित करते है, के कार्यों का आंशिक निरीक्षण/निगरानी का है। इसके अतिरिक्त सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा निर्दिष्ट विशेष शिकायतों की जांच भी संगठन द्वारा की जाती है। संगठन द्वारा नमूने के तौर पर विभिन्न कार्य विभागों के अंतर्गत एक या दो प्रगतिरत्/पूर्ण निर्माण कार्याें का परीक्षण कर संबंधित कार्यपालन अभियंता को निरीक्षण प्रतिवेदन जारी किये जाते है। निरीक्षण प्रतिवेदन के प्रत्येक बिन्दुओं पर संबंधित कार्यपालन अभियंता द्वारा उत्तर प्रस्तुत किया जाता है। प्राप्त उत्तर की समीक्षा संगठन द्वारा की जाती है, संतोषप्रद उत्तर प्राप्त होने पर प्रकरण संगठन स्तर पर समाप्त किया जाता है। यह संगठन के कार्याें को निष्पादित करने की सामान्य प्रक्रिया है।
संगठन द्वारा कार्य के निरीक्षण के दौरान कार्यों में सामान्य प्रकार की त्रुटियों को स्थल पर निर्देशित कर सुधार करा लिया जाता है। जिन तकनीकी त्रुटियों के सुधार में कुछ समय लगना संभावित होता है, उन्हें निरीक्षण प्रतिवेदन में सम्मिलित कर, कार्य संपादन के दौरान उनका सुधार सुनिश्चित किया जाता है। ऐसी त्रुटियां जिनमें निर्माण कार्य की गुणवत्ता मानक स्तर के अनुरूप नहीं होती है, ऐसे संपादित कार्य को अमान्य कर पुनः कार्य कराये जाने एवं अनुबंधक पर समुचित कटौती की राशि निर्धारित कर वसूली करने की कार्यवाही हेतु संबंधित विभाग को निर्देशित किया जाता है।